According to Shiva Purana, Rudraksha “Elaeocarpus Ganitrus” originated as tears of Lord Shiva. It is the holiest known bead having many spiritual and health benefits and used for healing and curing various diseases. A Rudraksha rosary/mala can have Rudraksha Beads in the auspicious numbers in multiple of 9 like 108+1 or 54+1 or 27+1. It is the source of good luck, good health, prosperity, medical values, success, financial gains and for eradication of evil forces. Rudraksha beads normally have faces from 1 to 21 mukhi.
रुद्राक्ष का अर्थ है “रूद्र का अक्ष”, माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में, सुरक्षा के लिए, ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं। रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव अचूक, परन्तु यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय। बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ बिलकुल नहीं होता, बल्कि कभी कभी नुकसान भी हो सकता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम (How to wear Rudraksha?)
- रुद्राक्ष कलाई, कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है. इसे कंठ प्रदेश तक धारण करना सर्वोत्तम होगा।
- कलाई में बारह, कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो को धारण करना चाहिए।
- एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए।
- सावन में, सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए तथा उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए।
- जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक रहना चाहिए तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा।
- एक मुखी रुद्राक्ष (1-one face rudraksha)
एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष को शिव के सबसे करीब माना जाता है। वे लोग जो धन-दौलत और भौतिक चीजों का मोह रखते हैं उन्हें एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पहले ऊँ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप 108 बार (एक माला) करना चाहिए तथा इसको सोमवार के दिन धारण करें। इसका मूल्य विशेषतः अत्यधिक होता है। यह अभय लक्ष्मी दिलाता है। इसके धारण करने पर सूर्य जनित दोषों का निवारण होता है। नेत्र संबंधी रोग, सिर दर्द, हृदय का दौरा, पेट तथा हड्डी संबंधित रोगों के निवारण हेतु इसको धारण करना चाहिए। यह यश और शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति, एकाग्रता, सांसारिक, शारीरिक, मानसिक तथा दैविक कष्टों से छुटकारा, मनोबल में वृद्धि होती है। कर्क, सिंह और मेष राशि वाले इसे माला रूप में धारण अवश्य करें।
- दो मुखी रुद्राक्ष (2-two face rudraksha)
शिव का यह रुद्राक्ष हर इच्छा पूरी करता है।दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए। इसे धारण करते समय ॐ नम: का जाप करना चहिए। यह चंद्रमा के कारण उत्पन्न प्रतिकूलता के लिए धारण किया जाता है। हृदय, फेफड़ों, मस्तिष्क, गुर्दों तथा नेत्र रोगों में इसे धारण करने पर लाभ पहुंचता है। यह ध्यान लगाने में सहायक है। इसे धारण करने से सौहार्द्र लक्ष्मी का वास रहता है। इससे भगवान अर्द्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं। उसकी ऊर्जा से सांसारिक बाधाएं तथा दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है दूर होती हैं। इसे स्त्रियों के लिए उपयोगी माना गया है। संतान जन्म, गर्भ रक्षा तथा मिर्गी रोग के लिए उपयोगी माना गया है। धनु व कन्या राशि वाले तथा कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वालों के लिए इसे धारण करना लाभप्रद होता है।
- तीन मुखी रुद्राक्ष (3-three face rudraksha)
तीन मुखी रुद्राक्ष को अनल (अग्नि) के समान बताया गया है। शिवपुराण के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष कठिन साधाना के बराबर फल देने वाला बताया गया है। जिन लोगों को विद्या प्राप्ति की अभिलाषा है। व्यक्ति की हर इच्छा को पूरा करने का सबसे तेज माध्यम है तीन मुखी रुद्राक्ष। इसे पहनने से जल्दी से जल्दी इच्छा पूरी होती है। इसे पहनते समय ऊँ क्लीं नम: का जाप करना चाहिए। इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार यथावत पढ़ें। मंगल इसका अधिपति ग्रह है। मंगल ग्रह निवारण हेतु इसे धारण किया जाता है की प्रतिकूलता के। यह मूंगे से भी अधिक प्रभावशाली है। मंगल को लाल रक्त कण, गुर्दा, ग्रीवा, जननेन्द्रियों का कारक ग्रह माना गया है। अतः तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्लडप्रेशर, चेचक, बवासीर, रक्ताल्पता, हैजा, मासिक धर्म संबंधित रोगों के निवारण हेतु धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से श्री, तेज एवं आत्मबल मिलता है। यह सेहत व उच्च शिक्षा के लिए शुभ फल देने वाला है। इसे धारण करने से दरिद्रता दूर होती है तथा पढ़ाई व व्यापार संबंधित प्रतिस्पर्धा में सफलता मिलती है। अग्नि स्वरूप होने के कारण इसे धारण करने से अग्नि देव प्रसन्न होते हैं, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा शरीर स्वस्थ रहता है। मेष, सिंह, धनु राशि वाले तथा मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन लग्न के जातकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से सर्वपाप नाश होते हैं।
- चार मुखी रुद्राक्ष (4-four face rudraksha)
इस रुद्राक्ष को ब्रह्मा का स्वरूप कहा जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने का मंत्र है ऊँ ह्रीं नम:। बुध ग्रह की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए इसे धारण करना चाहिए। मानसिक रोग, पक्षाघात, पीत ज्वर, दमा तथा नासिका संबंधित रोगों के निदान हेतु इसे धारण करना चाहिए। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वाणी में मधुरता, आरोग्य तथा तेजस्विता की प्राप्ति होती है। इसमें पन्ना रत्न के समान गुण हैं। सेहत, ज्ञान, बुद्धि तथा खुशियों की प्राप्ति में सहायक है। इसे चारों वेदों का रूप माना गया है तथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्वर्ग फल देने वाला है। इसे धारण करने से सांसारिक दुःखों, शारीरिक, मानसिक, दैविक कष्टों तथा ग्रहों के कारण उत्पन्न बाधाओं से छुटकारा मिलता है। वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ लग्न के जातकों को इसे धारण करना चाहिए। सोमवार को यह मंत्र 108 बार जपकर धारण करें।
- पांच मुखी रुद्राक्ष (5-five face rudraksha)
पंचमुखी रुद्राक्ष को स्वयं रुद्र कालाग्नि के समान बताया गया है. इसे धारण करने से शांत व संतोष की प्राप्ति होती है। वे लोग जो अपनी हर परेशानी से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें पांच मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। जिन भक्तों को सभी परेशानियों से मुक्ति चाहिए और मनोवांछित फल प्राप्त करने की इच्छा है, उन्हें पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है ऊँ ह्रीं नम:। सोमवार की सुबह मंत्र एक माला जप कर, इसे काले धागे में विधि पूर्वक धारण करना चाहिए। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के पापों के प्रभाव को भी कम करता है। बृहस्पति ग्रह की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए इसको धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से निर्धनता, दाम्पत्य सुख में कमी, जांघ व कान के रोग, मधुमेह जैसे रोगों का निवारण होता है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालों को सुख, शांति व प्रसिद्धि प्राप्त होते हैं। इसमें पुखराज के समान गुण होते हैं। यह हृदय रोगियों के लिए उत्तम है। इससे आत्मिक विश्वास, मनोबल तथा ईश्वर के प्रति आसक्ति बढ़ती है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन वाले जातक इसे धारण कर सकते हैं।
- छ: मुखी रुद्राक्ष (6-six face rudraksha)
इस रुद्राक्ष को कार्तिकेय का रूप कहा जाता है। कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र हैं।वे लोग जो इसे धारण करते हैं उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिलती है। इसे धारण करने का मंत्र है ॐ ह्रीं हुम नम:। इसे धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन ‘ऊँ ह्रीं हु्रं नमः’ मंत्र का एक माला जप करें। शुक्र ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे अवश्य धारण करना चाहिए। नेत्र रोग, गुप्तेन्द्रियों, पुरुषार्थ, काम-वासना संबंधित व्याधियों में यह अनुकूल फल प्रदान करता है। इसके गुणों की तुलना हीरे से होती है। यह दाईं भुजा में धारण किया जाता है। इसे प्राण प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए तथा धारण के समय ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। इसे हर राशि के बच्चे, वृद्ध, स्त्री, पुरुष कोई भी धारण कर सकते हैं। गले में इसकी माला पहनना अति उत्तम है। कार्तिकेय तथा गणेश का स्वरूप होने के कारण इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने वाले पर माँ पार्वती की कृपा होती है। आरोग्यता तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए वृष व तुला राशि तथा मिथुन, कन्या, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक इसे धारण कर लाभ उठा सकते हैं।
- सात मुखी रुद्राक्ष (7-seven face rudraksha)
सात मुखी रुद्राक्ष को अनंग बताया गया है वे लोग जिन्हें अत्याधिक धन की हानि हुई है और उनके पास इससे उबरने का कोई तरीका नहीं है, उन्हें इस रुद्राक्ष को पहनना चाहिए। इसे धारण करने से पहले ऊँ हुं नम: का जाप करना चाहिए। जो लोग गरीबी से मुक्ति चाहते हैं , इस रुद्राक्ष को धारण करने से गरीब व्यक्ति धनवान बन सकता है। इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें। इस रुद्राक्ष के देवता सात माताएं व हनुमानजी हैं। यह शनि ग्रह द्वारा संचालित है। इसे धारण करने पर शनि जैसे ग्रह की प्रतिकूलता दूर होती है तथा नपुंसकता, वायु, स्नायु दुर्बलता, विकलांगता, हड्डी व मांस पेशियों का दर्द, पक्षाघात, सामाजिक चिंता, क्षय व मिर्गी आदि रोगों में यह लाभकारी है। इसे धारण करने से कालसर्प योग की शांति में सहायता मिलती है। यह नीलम से अधिक लाभकारी है तथा किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं देता है। इसे गले व दाईं भुजा में धारण करना चाहिए। इसे धारण करने वाले की दरिद्रता दूर होती है तथा यह आंतरिक ज्ञान व सम्मान में वृद्धि करता है। इसे धारण करने वाला प्रगति पथ पर चलता है तथा कीर्तिवान होता है। मकर व कुंभ राशि वाले, इसे धारण कर लाभ ले सकते हैं।
- आठ मुखी रुद्राक्ष (8-eight face rudraksha)
शिवपुराण के अनुसार अष्टमुखी रुद्राक्ष भैरव महाराज का रूप माना जाता है। जो लोग इस रुद्राक्ष को धारण करते हैं, वे अकाल मृत्यु से शरीर का त्याग नहीं करते हैं। ऐसे लोग पूर्ण आयु जीते हैं। वे लोग जो रोग मुक्त जीवन जीना चाहते हैं उनके लिए आठ मुखी रुद्राक्ष एकदम उपयुक्त है। इस रुद्राक्ष के लिए मंत्र है ॐ हुम नम:। आठ मुखी रुद्राक्ष में कार्तिकेय, गणेश और गंगा का अधिवास माना जाता है। राहु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए। मोतियाविंद, फेफड़े के रोग, पैरों में कष्ट, चर्म रोग आदि रोगों तथा राहु की पीड़ा से यह छुटकारा दिलाने में सहायक है। इसकी तुलना गोमेद से की जाती है। आठ मुखी रुद्राक्ष अष्ट भुजा देवी का स्वरूप है। यह हर प्रकार के विघ्नों को दूर करता है। इसे धारण करने वाले को अरिष्ट से मुक्ति मिलती है। इसे सिद्ध कर धारण करने से पितृदोष दूर होता है। मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह अनुकूल है। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुंभ व मीन लग्न वाले इससे जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
- नौ मुखी रुद्राक्ष (9-nine face rudraksha)
इस रुद्राक्ष को नौ देवियों का स्वरूप कहा जाता है। यह रुद्राक्ष महाशक्ति के नौ रूपों का प्रतीक है। जो लोग नौमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, वे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। इन लोगों को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। समाज में प्रतिष्ठा की चाह रखने वाले लोगों को नौ मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें। केतु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए। ज्वर, नेत्र, उदर, फोड़े, फुंसी आदि रोगों में इसे धारण करने से अनुकूल लाभ मिलता है। इसे धारण करने स केतु जनित दोष कम होते हैं। यह लहसुनिया से अधिक प्रभावकारी है। ऐश्वर्य, धन-धान्य, खुशहाली को प्रदान करता है। धर्म-कर्म, अध्यात्म में रुचि बढ़ाता है। मकर एवं कुंभ राशि वालों को इसे धारण करना चाहिए।
- दस मुखी रुद्राक्ष (10-ten face rudraksha)
इसे विष्णु का स्वरूप माना जाता है। दस मुखी रुद्राक्ष में भगवान विष्णु तथा दसमहाविद्या का निवास माना गया है। हर प्रकार की खुशियों को पाने की चाह रखने वाले लोगों को इस रुद्राक्ष को पहनना चाहिए जिसका मंत्र है ॐ ह्रीं नम:। जो लोग अपनी सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं, वे दसमुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। इसे धारण करने पर प्रत्येक ग्रह की प्रतिकूलता दूर होती है। यह एक शक्तिशाली रुद्राक्ष है तथा इसमें नवरत्न मुद्रिका के समान गुण पाये जाते हैं। यह सभी कामनाओं को पूर्ण करने में सक्षम है। जादू-टोने के प्रभाव से यह बचाव करता है। ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने से पूर्व इसे प्राण-प्रतिष्ठित अवश्य कर लेना चाहिए। मानसिक शांति, भाग्योदय तथा स्वास्थ्य का यह अनमोल खजाना है। सर्वग्रह इसके प्रभाव से शांत रहते हैं। मकर तथा कुंभ राशि वाले जातकों को इसे प्राण-प्रतिषिठत कर धारण करना चाहिए।
- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष (11-eleven face rudraksha)
शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रुद्रदेव का रूप है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को रुद्रदेव का स्वरूप माना जाता है। हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इसे पहनना चाहिए। इसका मंत्र है ॐ ह्रीं हुम नम:। जो इसे शिखा में धारण करता है, उसे कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का प्रतीक है। यह ग्यारह रुद्रों का प्रतीक है। इसे शिखा में बांधकर धारण करने से हजार अश्वमेध यज्ञ तथा ग्रहण में दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इसे धारण करने से समस्त सुखों में वृद्धि होती है। यह विजय दिलाने वाला तथा आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला है। दीर्घायु व वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों तथा विकारों में यह लाभकारी है तथा जिस स्त्री को संतान प्राप्ति नहीं होती है इसे विश्वास पूर्वक धारण करने से बंध्या स्त्री को भी सकती है संतान प्राप्त हो। इसे धारण करने से बल व तेज में वृद्धि होती है। मकर व कुंभ राशि के व्यक्ति इसे धारण कर जीवन-पर्यंत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- बारह मुखी रुद्राक्ष (12-twelve face rudraksha)
इस रुद्राक्ष को बालों में पहना जाता है। इसे धारण करने का मंत्र है ऊँ क्रौं क्षौं रौं नम:। जो लोग बाहरमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, उन्हें बारह आदित्यों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बारहमुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से बालों में धारण करना चाहिए। बारह मुखी रुद्राक्ष को विष्णु स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से सर्वपाप नाश होते हैं। इसे धारण करने से दोनों लोकों का सुख प्राप्त होता है तथा व्यक्ति भाग्यवान होता है। यह नेत्र ज्योति में वृद्धि करता है। यह बुद्धि तथा स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान दिलाता है। दरिद्रता का नाश होता है। बढ़ता है मनोबल। सांसारिक बाधाएं दूर होती हैं तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैेे तथा असीम तेज एवं बल की प्राप्ति होती है।
- तेरह मुखी रुद्राक्ष (13-thirteen face rudraksha)
विश्वदेव के स्वरूप में देखे जाने वाले इस रुद्राक्ष को पहनने वाले लोगों का सौभाग्य चमकने लगता है। इसे धारण करने से पहले ॐ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति भाग्यशाली बन सकता है। तेरहमुखी रुद्राक्ष से धन लाभ होता है। यह समस्त कामनाओं एवं सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। निः संतान को संतान तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है अतुल संपत्ति की प्राप्ति होती है तथा भाग्योदय होता है। यह समस्त शक्ति तथा ऋद्धि-सिद्धि का दाता है। यह कार्य सिद्धि प्रदायक तथा मंगलदायी है।
- चौदह मुखी रुद्राक्ष (14-fourteen face rudraksha)
इसे स्वयं शिव का स्वरूप कहा जाता है जो समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है। इसका मंत्र है ॐ नम:। इस रुद्राक्ष को भी शिवजी का रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य शिव के समान पवित्र हो जाता है । यह भगवान शंकर का सबसे प्रिय रुद्राक्ष है। यह हनुमान जी का स्वरूप है। धारण करने वाले को परमपद प्राप्त होता है। इसे धारण करने से शनि व मंगल दोष की शांति होती है। दैविक औषधि के रूप में यह शक्ति बनकर शरीर को स्वस्थ रखता है। सिंह राशि वाले इसको धारण करें, तो उत्तम रहेगा।
आपकी ग्रह-राशि-नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण करें (Rudraksha by Zodiac Sign)
ग्रह राषि नक्षत्र लाभकारी मुखी रुद्राक्ष
मंगल मेष मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा 3 मुखी
शुक्र वृषभ भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा 6 मुखी, 13 मुखी, 15 मुखी
बुध मिथुन आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती 4 मुखी
चन्द्र कर्क रोहिणी-हस्त-श्रवण 2 मुखी, गौरी-शंकर रुद्राक्ष
सूर्य सिंह कृत्तिका-उत्तराफाल्गुनी-उत्तराषाढ़ा 1 मुखी, 12 मुखी
बुध कन्या आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती 4 मुखी
शुक्र तुला भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा 6 मुखी, 13 मुखी, 15 मुखी
मंगल वृष्चिक मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा 3 मुखी
गुरु धनु-मीन पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद 5 मुखी
शनि मकर-कुंभ पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद 7 मुखी, 14 मुखी
गुरु धनु-मीन पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद 5 मुखी
राहु – आर्द्रा-स्वाति-षतभिषा 8 मुखी, 18 मुखी
केतु – अष्विनी-मघा-मूल 9 मुखी, 17 मुखी
नवग्रह दोष निवारणार्थ 10 मुखी, 21 मुखी
आप अपने कार्य-क्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं (Rudraksha by Profession)
कुछ लोगों के पास जन्म कुंडली इत्यादि की जानकारी नहीं होती वे लोग अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष का लाभ उठा सकते हैं। कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है। किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।
नेता-मंत्री-विधायक सांसदों के लिए – 1 और 14 मुखी।
प्रशासनिक अधिकारियों के लिए – 1 और 14 मुखी।
जज एवं न्यायाधीशों के लिए – 2 और 14 मुखी।
वकील के लिए – 4, 6 और 13 मुखी।
बैंक मैनेजर के लिए – 11 और 13 मुखी।
बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के लिए – 4 और 11 मुखी।
चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए – 4, 6, 8 और 12 मुखी।
एकाउन्टेंट एवं खाता-बही वाले कर्मचारियों के लिए – 4 और 12 मुखी।
पुलिस अधिकारी के लिए – 9 और 13 मुखी।
पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए – 4 और 9 मुखी।
डॉक्टर एवं वैद्य के लिए – 1, 7, 8 और 11 मुखी।
फिजीशियन (डॉक्टर) के लिए – 10 और 11 मुखी।
सर्जन (डॉक्टर) के लिए – 10, 12 और 14 मुखी।
नर्स-केमिस्ट-कंपाउण्डर के लिए – 3 और 4 मुखी।
दवा-विक्रेता या मेडिकल एजेंट के लिए – 1, 7 और 10 मुखी।
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए – 3 और 10 मुखी।
मेकैनिकल इंजीनियर के लिए – 10 और 11 मुखी।
सिविल इंजीनियर के लिए – 8 और 14 मुखी।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए – 7 और 11 मुखी।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए – 14 मुखी और गौरी-शंकर।
कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर के लिए – 9 और 12 मुखी।
पायलट और वायुसेना अधिकारी के लिए – 10 और 11 मुखी।
जलयान चालक के लिए – 8 और 12 मुखी।
रेल-बस-कार चालक के लिए – 7 और 10 मुखी।
प्रोफेसर एवं अध्यापक के लिए – 4, 6 और 14 मुखी।
गणितज्ञ या गणित के प्रोफेसर के लिए – 3, 4, 7 और 11 मुखी।
इतिहास के प्रोफेसर के लिए – 4, 11 और 7 या 14 मुखी।
भूगोल के प्रोफेसर के लिए – 3, 4 और 11 मुखी।
क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनोग्रॉफर के लिए – 1, 4, 8 और 11 मुखी।
ठेकेदार के लिए – 11, 13 और 14 मुखी।
प्रॉपर्टी डीलर के लिए – 3, 4, 10 और 14 मुखी।
दुकानदार के लिए – 10, 13 और 14 मुखी।
मार्केटिंग एवं फायनान्स व्यवसायिओं के लिए – 9, 12 और 14 मुखी।
उद्योगपति के लिए – 12 और 14 मुखी।
संगीतकारों-कवियों के लिए – 9 और 13 मुखी।
लेखक या प्रकाशक के लिए – 1, 4, 8 और 11 मुखी।
पुस्तक व्यवसाय से संबंधित एजेंट के लिए – 1, 4 और 9 मुखी।
दार्शनिक और विचारक के लिए – 7, 11 और 14 मुखी।
होटल मालिक के लिए – 1, 13 और 14 मुखी।
रेस्टोरेंट मालिक के लिए – 2, 4, 6 और 11 मुखी।
सिनेमाघर-थियेटर के मालिक या फिल्म-डिस्ट्रीब्यूटर के लिए – 1, 4, 6 और 11 मुखी।
सोडा वाटर व्यवसाय के लिए – 2, 4 और 12 मुखी।
फैंसी स्टोर, सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री के विक्रेताओं के लिए – 4, 6 और 11 मुखी रुद्राक्ष।
कपड़ा व्यापारी के लिए – 2 और 4 मुखी।
बिजली की दुकान-विक्रेता के लिए – 1, 3, 9 और 11 मुखी।
रेडियो दुकान-विक्रेता के लिए – 1, 9 और 11 मुखी।
लकडी+ या फर्नीचर विक्रेता के लिए – 1, 4, 6 और 11 मुखी।
ज्योतिषी के लिए – 1, 4, 11 और 14 मुखी रुद्राक्ष ।
पुरोहित के लिए – 1, 9 और 11 मुखी।
ज्योतिष तथा र्धामिक कृत्यों से संबंधित व्यवसाय के लिए – 1, 4 और 11 मुखी।
जासूस या डिटेक्टिव एंजेसी के लिए – 3, 4, 9, 11 और 14 मुखी।
जीवन में सफलता के लिए – 1, 11 और 14 मुखी।
जीवन में उच्चतम सफलता के लिए – 1, 11, 14 और 21 मुखी।