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21 June 2020 : Solar Eclips
Today the annual solar eclipse will start at 9:15 AM IST and will be visible until 3:04 PM IST. The maximum eclipse will take place at 12:10 IST. The eclipse will be visible from much of Asia, Africa, the Pacific, the Indian Ocean, parts of Europe and Australia
ग्रहण काल में बरतें ये सावधानियां
- धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ग्रहण काल बालक, वृद्ध एवं रोगी को छोड़कर अन्य किसी को भोजन नहीं करना चाहिए।
- खाद्य पदार्थों में तुलसी दल या कुशा रखनी चाहिए।
- गर्भवतियों को खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए।
- ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।
- ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
- ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।
- ग्रहणकाल के दौरान अपने इष्टदेव की आराधना, जप आदि श्रेयकर होगा
- ग्रहण के दौरान या पहले भोजन बना हुआ है तो उसे फेंकना नहीं चाहिए। बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं बरतें विशेष सावधानी
ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सीधे प्रभाव में नहीं आना चाहिए।
सावन सोमवार की तिथियां 2023:
- सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
- सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
- सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
- सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
- सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
- सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
- सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
- सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
बनारस के द्वादश ज्योतिर्लिंग :
सोमनाथ महादेव : वाराणसी के मान मंदिर घाट के पास विराजमान हैं सोमनाथ महादेव। सिर्फ सावन ही नहीं बल्कि साल भर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
मल्लिकार्जुन महादेव : वाराणसी के सिगरा स्थित टीला पर स्थापित हैं मल्लिकार्जुन महादेव। इस मंदिर का जिक्र काशी खंडोक्त नामक धार्मिक किताब में मिलता है।
महाकालेश्वर महादेव : बनारस के दारानगर में महाकालेश्वर महादेव का मंदिर है। कहा जाता है कि इनके दर्शन से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
भीमशंकर महादेव : जमीन से करीब 60 फीट नीचे पाताललोक में भगवान शिव भीमशंकर महादेव के नाम से स्थापित हैं। यह मंदिर मणिकर्णिका घाट जाने के रास्ते में आता है। इस मंदिर को काशी करवट के नाम से भी जाना जाता है।
केदारनाथ : वाराणसी के केदारघाट पर केदारनाथ स्वरूप में महादेव स्थापित हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान का स्वयंभू शिवलिंग है, जो खुद से प्रकट हुआ था। इस मंदिर में दक्षिण भारतीय श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।
विश्वनाथ : माता पार्वती के साथ विराजमान बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह मंदिर बेहद खास माना जाता है।
त्रयंबकेश्वर महादेव : वाराणसी के बांस फाटक इलाके में स्थित भगवान शिव त्रयंबकेश्वर महादेव के नाम से जाने जाते हैं। भगवान शिव का यह मंदिर बेहद प्राचीन है।
बैद्यनाथ महादेव : वाराणसी के बैजनत्था इलाके में स्थित भगवान शिव के मंदिर को बैद्यनाथ महादेव के नाम से पूजा जाता है। कहा जाता है कि महादेव के इस स्वरुप के दर्शन करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
नागेश्वर महादेव : बनारस के पठानी टोला में स्थित भगवान शिव को नागेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
रामेश्वर महादेव : वाराणसी के रामकुंड क्षेत्र में रामेश्वर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
घृष्णेश्वर महादेव : वाराणसी में सिर्फ द्वादश ज्योतिर्लिंग के घृष्णेश्वर महादेव ही नहीं बल्कि कामाख्या देवी का मंदिर भी है। काशी के कमच्छा क्षेत्र में दोनों मंदिर स्थित हैं।
ओमकारेश्वर महादेव : वाराणसी में ओमकारेश्वर महादेव का मंदिर छित्तनपुर में है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का दर्शन करने से सभी तीर्थों का लाभ मिलता है।